I am back to this space..... And to start off I share with you my first poem i have written on the first day of my College Life
:-)
कशमकश
आज अजीब सी कशमकश है
न खुशी का आलम
न दुःख की च्छाया
फीर भी जाने क्यूं दील धड़कता है
आज अजीब सी कशमकश है
न खुशी का आलम
न दुःख की च्छाया
फीर भी जाने क्यूं दील धड़कता है
आज अजीब सी कशमकश है
न कोई छूट गया है
न कोई मील गया है
फ़ीर भी मन् बेचान है
मनो जैसे इसे कीसी का इंतज़ार है
आज अजीब सी कशमकश है
ना कुछ पाया है
न कुछ खोया है
फ़ीर भी अजीब सा अंदेशा है
मनो जैसे आने वाला कोई संदेसा है
न काली घटा छाई है
न बारिश अभी आई है
फ़ीर भी दिल खाए हिच्कोल्ले
जैसे बसंत के हो झूले
आज अजीब सी कशमकश है
न कोई मील गया है
फ़ीर भी मन् बेचान है
मनो जैसे इसे कीसी का इंतज़ार है
आज अजीब सी कशमकश है
ना कुछ पाया है
न कुछ खोया है
फ़ीर भी अजीब सा अंदेशा है
मनो जैसे आने वाला कोई संदेसा है
न काली घटा छाई है
न बारिश अभी आई है
फ़ीर भी दिल खाए हिच्कोल्ले
जैसे बसंत के हो झूले
आज अजीब सी कशमकश है
न पयार की बरसात
न दुःख का सागर
जाने दील कया चाहता है
मनो कुछ कुछ कहता है
न पयार हुआ है
न इकरार हुआ है
फ़ीर भी दील बेकरार है
मनो कुछ कहने को तैयार है
आज अजीब सी कशमकश है
ख्वाब है या हकीकत है
पर आज अजीब सी कशमकश है
न दुःख का सागर
जाने दील कया चाहता है
मनो कुछ कुछ कहता है
न पयार हुआ है
न इकरार हुआ है
फ़ीर भी दील बेकरार है
मनो कुछ कहने को तैयार है
आज अजीब सी कशमकश है
ख्वाब है या हकीकत है
पर आज अजीब सी कशमकश है
DREAM